भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बोली बाजव / एस. मनोज
Kavita Kosh से
करै कबूतर गुटरगूँ
चिड़ै छै चहकै चूँ चूँ चूँ
कौआक बाजब काँव काँव
बिलाड़क बाजब म्याऊँ म्याऊँ
मोर करै अछि कें कें कें
सूआ बजैत अछि टें टें टें
भेड़क बाजब भें भें भें
बकरीक बाजब में में में
हाथी त' चिग्घाड़ैत अछि
झिंगुर त' झंकारैत अछि
बतास चलैत अछि सन सन सन
चूड़ी बाजै खन खन खन