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बोलो जो कुछ धरा हो कहीं आपका माल / गंगादास

बोलो जो कुछ धरा हो कहीं आपका माल ।
मुझे बतादो सहज में आय गया अब काल ।।

आय गया अब काल माल घर के बूझैं हैं ।
जो साऊ थे सगे सोई दुशमन सूझैं हैं ।

गंगादास कह नार, भेद तन धन का खोलो ।
अब क्यों साधो मौन पिया मुझ से तो बोलो ।।