ब्रह्मकौंल / भाग 2 / गढ़वाली लोक-गाथा
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तब भाभी मोतीमाला खोसी[1] गए मोसी,
गात की घाघुरी छोड़े लाज का मारा।
तब सजाये वन रघुकण्ठी घोड़ी,
चल भाभी मोतीमाला श्रवण[2] द्वारिका
मेरो भैजी कृष्ण त्वै जागणू होलो।
बाँठी छई वा भाभी मोतीमाला-
हे लाडला बरमकौंल, मैं वचन बोलदू,
विमला रौतेलो होलो, जादव जायो
जब तू चन्द्रागिरि जालो।
मेरी भुली पत्थरमाला ब्याईक[3] लालो।
तब जैक[4] मैं द्वारिका जौलू,
नितर[5] तू मेरी सात दाँ [6] टाड[7] छोरी।
बरमकौंल न सूणे त्रिया को आणों[8]
त्रिया को आणो ह्वैगे कपाल का मुँडारो[9]।
माता आणो देन्दी[10] मैं खाणो नी खाँदो,
बाबा आणो देन्दो, मैं काम नी जाँदो।
भाई आणो देन्दो मैं बाँट नी लेन्दो।
त्रिया को आणो ह्वैगे जिकुड़ी[11] को बाण।
तब गैगे बरमी चन्द्रगिरि बीच,
तख रंद छयो गैरी नाग एक।
नागों मां कोण नाग भूपू नाग छायो।
रिंगदी[12] अटाली[13] छई वेकी, उड़दी[14] डंडयाली[15],
त्रिकूट का घाँड[16] छया लग्याँ काँसी का घूँघर।
भौन[17] की चारी तरफ सात छई बाड़ी[18],
कनों भीतर जौलू सोचदू लाडलो बरमी।
ज जैकार करदो, सत करदू याद विमला को,
सती होली मेरी माता, साती[19] बाड़ी टपी जौलू।
तब मारे बरमीन रघुकुंठी घोड़ी थाप,
घोड़ी गगन मा चढ़ीगे, साती बाड़ी टपीगे।
पौंछी गए तब बरमी पत्थरमाला का भौन,
देखी तब वींन मोहनी मूरत साँवल सूरत
कंकरियालो माथो देखी वींन ढबरियाली पीठ।
मायादार[20] आंखी देखीन, बुराँस[21] को सी फूल।
नारी पत्थर माला तब मोहित ह्वै गए।
आँसुडी[22] गेरदे वा, साँसुड़ी[23] भरदे-
कै[24] राज[25] कू[26] होली, कै दसावर[27] जालू?
यख केक[28] आयो वैरी का बदाण?
केक पंथ ग भूली, बाटो गै डूली,
कै बैरीन भरमायो, साधून सन्तायो?
तू अभी देख तेरी सौंली सूरत,
मेरो नाग डसी जालो।
लाडलो बरमी तब मुलकुल हैंसदो-
सूण[29] सूण पत्थरमाला, मैं पंथ नी भूल्यों[30],
वैरीन नी भरमायो, साधून नी सन्तायो।
आणा[31] का ऊपर मेरी ज्वानी को विणास[32]।
ब्याईक ली जाणी मैन तू पत्थरमाला।
जबरेक[33] तेरु नाग नागलोक मां छ जायूं,
तबरेक[34] द्वारिका चली जौला।
मुलकुल हैंसदी रानी पत्थरमाला-
यू ही बल लीक यख आयी?
कायरो नी होणू बरमी, सूण सूण
नारी चोरीक नी लि जाणी।
ठीक बोले त्वेन, अच्छा, हारी जीतीक जौलू।
लाडलो बरमी वींन पलंग बैठाये,
बजी गैन तबारे पलंग का घुंघर!
घांडू का स्वर पौंछीन नागलोक-
भिभड़ैक[35] उठे भूपू नाग-
सूणा सूणा र नागों, मैं घर जांदो,
मेरा गढ़ मा रिपु पैदा ह्वैग।
लौट आये तब नाग चन्द्रागिरि गढ़ मा।
वेका[36] नाक को फुँकार चढ़न लैगे,
भादों को सी रवाड़ो[37] उस्कारा[38] भरण लैगे
थरथर कंपीगे बरमी, कबूतर-सी बच्चा,
छिपी गैगे वो टुप[39] पलंग मा।
हे रानी पत्थरमाला कु छ तेरो छिपायूँ?
बतौ झट कैको आयो स्यो काल?
हे मेा नाग कैन[40] औणा[41] साती[42] बाड़ी[43] टपीक[44],
तेरी मति कैन हरे?
भौं कुछ[45] बोल तू रानी पत्थरमाला,
यख मनखी की बास छ औणी।
तब नाग आणा देण लैगे-
जु मेरी चन्द्रगिरी मा छिफ्यूं रलू,
वैसणी[46] मां का सुगन्ध छन!
अइऐ बरमी छेतरी[47] को रोष,
छेतरी को रोष दूध-सी उमाल।
नी रै सके छिप्यूँ बरमी, ऐगे भैर[48],
देखीक नाग मुलकुल हैंसदो-
हाथी सामणे फ्यूँली को फूल,
बोल बोल छोरा, किलै[49] तू आई,
के रांडो को होये यो कुल को विणास
सूण सूण नाग, मैन तू साधण[50],
साधीक त्वै पत्थरमाला ब्यैक ली जाण।
सुणीक बुरा वचन, नाग गुस्सा ऐगे,
कनो[51] पकड़ीले[52] नागन लाडलो स्यो बरमी।
बोल बोल छोरा तेरो कु छ बचौण वालो?
सूणसूण नाग, मरी जौलू बीती,
पर वैरीक मैं बाबू[53] नी बोलूँ।
दोसरो लपेटो मारी नागन-
बोल बोल कू त्वै बचौण वालो?
सूण सूण नाग, मैं बचौण वालो,
द्वारिका नारैण छ, कृष्ण भगवान।
गाडयाले नागन नागपाँस[54],
पड़ीगे भ्वां बरमी गेंडगू[55] सी।
आंख्यों सेंवल[56] सरीगे[57], दांतु मा कौड़ी[58]।
सुपिनो ह्वैगे कृष्ण द्वारिका नारैण।
कमरी कुसाण[59] लैगे, दूदो चचड़ाण[60]
ओखी फफड़ाण[61] लैगीन माता विमला की।
आदेशू लगौंदू मैं गुरु गोरख,
बचैक लावा मेरा बरमी।
तब कृष्णन भौंर भेज्यों वीं रमोली,
तख[62] रंदू छयो सिदुवा रमोलो।
पौछीगे सिदुवा चन्द्रागिरी गढ़ मा,
छिपीगे नाग तिमंजल्या कोणी।
आदेशू लगौन्दू मैं गुरु सतनाथ,
भैर औ नाग आयो तेरो काल।
मात की दुहाई त्वै हे नाग,
गुरु से निगुरु ना होई।
सिदुवा छयो बांको भड़[63],
एक ही चोट मा तैन नाग,
जती लम्बो तती चौड़ो कर्याले।
तब आयो वो बरमी का पास,
मारे वैन निल्लाट[64] को ताड़ो[65],
कांउर की जड़ी लिल्लाट[66] थापे।
खड़ो उठीगे तब लाडलो बरमी,
यनी जीता रया सजन पुरुष, पिरेमी[67] भगत।
रानी पत्थरमाला तब स्यूंदोला[68] गाडदी[69],
धौली[70] जसो[71] फाट[72]।
वेन्दुली[73] रखदी कुमौं[74] जसो घट[75]।
लाडला बरमी की सजीगे रघुकुंठी घोड़ी,
बजीन ढोल[76] दमों ब्यौ का।
चलीगे पत्थरमाला को डोला, बुरांस जनो फूल,
मोतीमाला न भी पूरा कन्या बचन।
मोतीमाला पत्थरमाला द्वी बेणी,
चली ऐन दखिण द्वारिका।
मोतीमाला ब्याहेण कृष्णक तैं,
बरमीन ब्याहे पत्थरमाला।
इना रैन भगवान कला का पूरा,
द्वारिका बीच लोग मंगल गांदा।
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