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भगवती वंदना / आभा झा

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हे अम्बिके! जगदम्बिके!
हिमगिरि सुते! करियौ कृपा।
चातक सरिस प्यासल हिया
स्नेहाम्बु दऽकरियौ कृपा॥

चरणारविंदक अमियरस
पीबय सकल सज्ञान जन
नहि ऊहि एहि दुर्बुद्धि केँ
सद्बुद्धि दऽ करियौ कृपा।

विस्तीर्ण वैश्विक पाशमे
बान्हल व्यथित विचलित सतत
आसक्ति व्यर्थक अर्थसँ
निज भक्ति दऽ करियौ कृपा।

क्षिति जल अनल नभ पवन धरि
सर्वत्र राजित भगवती,
संतति तदपि संतप्त अछि
नव दीप्ति दऽ करियौ कृपा।