भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भजन-कीर्तन: कृष्ण / 19 / भिखारी ठाकुर
Kavita Kosh से
प्रसंग:
भगवान कृष्ण के नाम का सदा स्मरण करने की सलाह दी गई है।
मन बोलऽ, मन बोलऽ तूँ घरी-घरी हरि नाम।टेक।
बासुदेव देवकी सहित बलराम। नन्द-यशोदा सकल ब्रज बाम।
मानुव तन भइला के बन जाई काम। छोड़ी दऽ कलह के कटहवा लगाम॥मन.॥
चाहे रह जंगल में, चाहे रह धाम। नाहीं लागी मेहनत, एको छदाम।
हिय बीच राखऽ हरदम धनश्याम कुबुबपुर के कहत ‘भिखारी’ हजाम॥ मन.॥