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भजार / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
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भजार
अहाँ चलि गेलौं
कतऽ चलि गेलौं
कोन गली-कुच्चीमे नुका गेलौं
अखने तँ खगता रहै अहाँक।
अहाँक मोनक आगि मिझायत नहि कहियो
मौसम कोने होअय
अहाँ धाराक विपरीत
सीना तानि कऽ चललहुँ।
हमहूँ धाराक विपरीत
तानबै सीना
तकरे ना मित्रता कहतै लोक।