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भज ले हरि को, नाम रे मन तु / निमाड़ी
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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भज ले हरि को, नाम रे मन तु
(१) बाल पणो तुन खेल म गमायो,
ज्वानी म तीरीया का साथ
काम रे धंदा म वा भी गमाई
नई लियो राम को नाम...
रे मन तु...
(२) आयो हो बुड़ापो न लग्यो हो कुड़ापो,
डोलन लाग्यो सारो
शरीर आखं सी सुझतो नही रे
पड़यो पलंग का माही...
रे मन तु...
(३) राम नाम को घट म हो राखो,
राखो दिन और रात
मुक्ति होय थारी आखरी घड़ी रे
भेज वैकुन्ठ धाम...
रे मन तु...
(४) कहत कबीरा सुणो भाई साधू,
घट म राखो राम
मनुष जलम काई भाव मिल्यो रे
नई मिल अयसो धाम...
रे मन तु...