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भण्या-गुणा / निशान्त
Kavita Kosh से
‘भण्या-गुण्या
स्याणां हुवै’
ओ बै ’म
बीं बगत बिसरग्यो हो
जद वोटां री ढोलक्यां
जमा करांवती बेळा
अैलकारां नै
धक्का-मुक्की होंवतां
देख्या।