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भय / ऋषभ देव शर्मा
Kavita Kosh से
सुनो I
तुमसे
मिलते समय
पहले तो कभी
इतना डर नहीं लगा !
आज
पहली बार जाना
कि
तुम्हारी रुष्टता की
आशंका मात्र
मेरे निकट
कितना बड़ा
भय है!