भरथरी लोक-गाथा - भाग 1 / छत्तीसगढ़ी
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घोड़ा रोय घोड़सार मा
घोड़सार मा ओ
हाथी रोवय हाथीसार मा
मोर रानी ये ओ, महल मा रोवय
मोर राजा रोवय दरबारे ओ, दरबारे ओ, भाई ये दे जी।
बोये मा सोना जमय नहीं
मोती मालूर डार
बारम्बार हीरा नई आवय
विकट दुःख मा ओ
मानुष चोला ए न, चल आथे दीदी
मोर जऊन समय कर बेरा ये, बाई बोलय ओ, रानी ये दे जी।
आमा लगाय अमुलिया
केकती केवड़ा लगाय
मूलिन लगाय दुधमोंगरा
पानी छींच-छींच जगाय
काचा कली मत टोरवओ, मत टोरव ओ, भाई ये दे जी।
काचा कली मत टोरिबे
दुनिया पछताय
जग में अमर राजा भरथरी
बाजे तबला निसान
सुनिले भगवान
मोर कलपी-कलप रानी रोवय ओ
भाई रोवय ओ, रानी ये दे जी।
बालक टेर ये बबूर के
पर के पथरा ल ओ
कय दिन नोनी ह का सहय
बालक टेर ये बबूर के
पर के पथरा ल ओ
कय दिन कइना ह का सहय
कइना तरमूर ओ, जेमा नइये दीदी
मोर लाठी के मार ल खावय ओ, बाई खाये ओ, रानी ये दे जी।
जऊने समय कर बेरा मा
सुनिले भगवान
कइसे विधि कर कइना रोवत हे
सतखण्डा ए ओ
सात खण्ड के ओगरी
बत्तीस खण्ड के न अंधियारी मा राम
साय गुजर मा
मोर कलपी-कलप रानी रोवय
बाई रोवय ओ, रानी ये दे जी।
मोर ले छोटे अऊ छोटे के
सुन्दर गोदी मा ओ
देख तो दीदी बालक खेलत हें
मोर अभागिन के ओ
मोर गोदी मा राम
बालक नइये गिंया
मोर जइसे विधि कर रानी ओ
बाई रोवय ओ, बाई ये दे जी।
तरिया बैरी नदिया मा
संग जंवरिहा ओ
देख तो दीदी ताना मारत हें
छोटे-छोटे के ओ
सुन्दर गोदी मा राम
बालक खेलत हँय न
मोर अभागिन के गोदी मा बालक ओ
बाई नइये ओ, आनी रोवय ओ, बाई ये दे जी।
सोते बैरी सतखण्डा ये
सोरा खण्ड के ओगरी
छाहें जेखर मया बइठे हे
फुलवा रानी ओ
चल सोचथे राम
सुनिले भगवान
मोला का तो जोनी ए दे दिये ओ
भगवाने ओ, बाई ये दे जी।
कइसे विधि कर लिखा ल
नई तो काटय दाई
का दुःख ला रानी का रोवत हे
बाल ऊ मर हे
बालक नई से गिंया
ठुकरावथे राम
मोर गली-गली रानी रोवय ओ
बाई रोवय ओ, रानी ये दे जी।
जऊने समय कर बेरा मँ सुनिले भगवान
बैकुंठ ले चले आवत हे
बाराभंजन के
बीच अंगना मा ओ
जोगी आइके राम
मोला भिक्षा ल देदे न बेटी ओ
बाई बोलय ओ, रानी ये दे जी।
थारी मा मोहर धरिके
फुलवारानी ओ
देखतो दीदी कइसे आवत हे
भिक्षा ले ले जोगी
सुनिले भगवान
जोगी बोलत हे राम
भिक्षा लिहे नई आयेंब बेटी
तोर महिमा बुझे चले आयेंव ओ
बाई आयेंव ओ, रानी ये दे जी।
गोरा बदन करिया गय
चेहरा हर बेटी
कइसे वोहा कुम्हलाये हे
काबर रोवत हव ओ
मोला बतादे कइना
मोर जइसे विधि
जोगी बोलय ओ, बाई बोलय ओ, रानी ये दे जी।
फाट जातीस धरती हमा जातेंव
दुःख सहे नई जाय
सुनले जोगी मोर बाते ल
का तो दुःख ल राम
मय बतावॅव जोगी
संगी जंवरिहा
तरिया नदिया
ताना मारत हे राम
छोटे-छोटे के न
सुन्दर गोदी मा ओ
बालक खेलत हे न
मोर अभागिन के गोदी मं बालक ओ
जोगी नईये ओ, बाई ये दे जी।
का तो जोगी मय कमाये हॅव
बालक नइये गिंया
कतेक कठिन दुःख काटत हॅव
गोदी बालक नईये दाई आज मोरे न
कठिन उपाय ओ
करि डारेंव गिंया
मोला कईसे विधि भगवान ये ओ
बाई गढ़े ओ, बाई ये दे जी।
जऊने समय कर बेरा में
सुनिले भगवान
जबधन बोलत हे जोगी ह
सुनिले बेटी बात
अमृत पानी ल ओ
तैंहर ले ले बेटी
सतनामे ल न
तैंहर लेइके ओ
पावन कर ले कइना
मोर बारा महिना मँ गोदी ओ
बालक होहय ओ, बाई ये दे जी।
बारा महीना मा गोदी मा
मोर बालक ओ
तैंहर खेला लेबे
जऊने समय कर बेरा मा
फुलवा रानी ओ
अमृत पानी ल झोंकत हे
जोगी आये हे न, चले आवत हे राम
मोर आजे आंगन जोगी जावय ओ
जोगी जावय ओ, बाई ये दे जी।
जग मा अमर राजा भरथरी
बाजे तबला निसान
जबधन रानी ह का बोलय
सुनिले भगवान
सतनाम ल ओ
मोर लेई के न
अमृत पानी ल राम, पावन करत हे ओ
मोर कइसे आंसू बइरी चलय ओ
बाई चलय ओ, रानी ये दे जी।
रोई रोई के
रानी ये ओ, पावन करत हे
देख तो दीदी फुलवा रानी
सुनिले भगवान
एक महीना ये राम
दुई महीना ये ओ
मोर दस के छॉय ह लागे ओ
बाई लागे ओ, रानी ये दे जी।
दस के छांह ह होइगे
फुलवा रानी ओ
खेखतो दीदी बालक होवत हे
मोर कासी ले न
पंडित बलाये राम मोर नामे धरे भरथरी ओ,
भरथरी ओ, भाई ये दे जी।
बारा बच्छर ऊमर जोगी हे
मोर लिखे हे ओ
देख तो दीदी मोर जोगे न
भरथरी ओ
नाम धरी के न
चले जावत हे राम
मोर पंडित ए न
मोर कइसे विधि कर जावे ओ
मोर कासी ओ, बाई ये दे जी।
जऊने समय कर बेरा मा
सुनिले भगवान
का मंगनी के ये बेटा ये
धूर खावत हे ओ
धुरे बाढ़त हे राम
मोर जइसे विधि कर लिखा ओ
बाइ बोलय ओ, रानी ये दे जी।
तीर कमंछा ल धरिके
भरथरी ये ओ
देखतो दीदी कइसे घूमत हे
अलियन खेलय ओ, गलियन मा गिंया
मोर जऊने समय कर बेरा ओ
बाई बोलय ओ, बाई ये दे जी।
मनेमन मा गूनत हे
मोर रानी ये ओ
का तो जोनी मां बेटा पाये हॅव
आधा ऊमर मा
मोर बेटा ये ओ
सुनिले भगवान
भरथरी ये न
अंगना मा दीदी, चल बइठे हे ओ
भगवान ये न
मोर महिमा बुझे चले आये ओ
बाई भेजे ओ, रानी ये दे जी।
महिमा बुझे ल भेजे हे
भगवान ये ओ
देख तो दीदी भया मिरगा ल
फुदक-फुदक गिंया
मिरगा नाचय ओ
बारा भंजन के
बीच अंगना मा राम
भरथरी ये न
चल बइठे हे राम
मोर जइसे विधि कर मिरगा ओ
बाई नाचे ओ, बाई ये दे जी।
का मोहनी कर मिरगा ये
मन ला मोहत हे ओ
पागल जादू बना दिहे
का मोहनी कर मिरगा ए ओ
भगवान ये ओ
मोहनी के मिरगा भेजाए हे
भरथरी ए न
मोर मोहागे दीदी
सुनिले दाई बात
मोला तीर कमंछा ल दे दे ओ
माई दे दे ओ, रानी ये दे जी।
तीर कमंछा ल दे दे ओ
सुनिले दाई बात
मिरगा मारे चले जाहँव न
भरथरी ल राम
फुलवा रानी ओ
समझावत हे न
सुनिले बेटा बात
मोर कहना वचन जोगी मान जाबे
राजा मान जाबे, रामा ये दे जी।