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भरोसा / अरविन्द कुमार खेड़े

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एक भरोसा
मैं दिल में लिए चलता हूँ
एक भरोसा
मैं दिल में दिए चलता हूँ
मैं खड़ा रहता हूँ
तब तक
जब तक तुम
ओझल नहीं हो जाते
मैं खड़ा रहूँगा
जब तक कि तुम पलट कर
मुझे देख नहीं लेते
जब तक
अपने भरोसे की
कर नहीं लेते तसल्ली.