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भरोसा / आकांक्षा पारे
Kavita Kosh से
भरोसा बहुत ज़रूरी है
इन्सान का इन्सान पर
यदि इन्सान तोड़ता है यकीन
तब
इन्सान ही कायम करता है इसे दोबारा
भरोसे ने ही जोड़ रखें हैं पड़ोस
भरोसे पर ही चलती है कारोबारी दुनिया
भरोसे पर ही
आधी दुनिया
उम्मीद करती है अच्छे कल की
आज भी सिर्फ़
भरोसे पर ही
ब्याह दी जाती हैं बेटियाँ