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भवानीप्रसाद मिश्र / परिचय

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भवानी प्रसाद मिश्र (२९ मार्च १९१३-२०फरवरी १९८५]) का जन्म गांव टिगरिया, तहसील सिवनी मालवा, जिला होशंगाबाद में हुआ था। वे हिन्दी के प्रमुख कवियों में से एक थे। क्रमश: सोहागपुर, होशंगाबाद, नरसिंहपुर और जबलपुर में उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई तथा १९३४-३५ में उन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृत विषय लेकर बी ए पास किया। गांधी जी के विचारों के अनुसार शिक्षा देने के विचार से एक स्कूल खोलकर शुरू किया और उस स्कूल को चलाता हुए ही १९४२ में गिरफ्तार होकर १९४५ में छूटे। उसी वर्ष महिलाश्रम वर्धा में शिक्षक की तरह चले गए और चार पाँच साल वर्धा में बिताए। कविताएँ लिखना लगभग १९३० से नियमित प्रारम्भ हो गया था और कुछ कविताएँ पंडित ईश्वरी प्रसाद वर्मा के सम्पादन में निकलने वाले हिन्दूपंच में हाईस्कूल पास होने के पहले ही प्रकाशित हो चुकी थीं। सन १९३२-३३ में वे माखनलाल चतुर्वेदी के संपर्क में आए और वे आग्रहपूर्वक कर्मवीर में भवानी प्रसाद मिश्र की कविताएँ प्रकाशित करते रहे। हंस में काफी कविताएँ छपीं और फिर अज्ञेय जी ने दूसरे सप्तक में इन्हे प्रकाशित किया। दूसरे सप्तक के प्रकाशन के बाद प्रकाशन क्रम ज्यादा नियमित होता गया। उन्होंने चित्रपट के लिए संवाद लिखे और मद्रास के ए०बी०एम० में संवाद निर्देशन भी किया। मद्रास से बम्बई आकाशवाणी का प्रोड्यूसर होकर गए और आकाशवाणी केन्द्र दिल्ली पर भी काम किया। जीवन के ३३वें वर्ष से खादी पहनने लगे।

उन्हें १९७२ में बुनी हुई रस्सी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। १९८१-८२ में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के संस्थान सम्मान से सम्मानित हुए और १९८३ में उन्हें मध्य प्रदेश शासन के शिखर सम्मान से अलंकृत किया गया।


कुछ प्रमुख कृतियाँ : कविता संग्रह- गीत फरोश, चकित है दुख, गाँधी पंचशती, बुनी हुई रस्सी, खुशबू के शिलालेख, त्रिकाल संध्या, व्यक्तिगत, परिवर्तन जिए, तुम आते हो, इदंन मम्, शरीर कविता फसलें और फूल, मान-सरोवर दिन, संप्रति, अँधेरी कविताएँ, तूस की आग, कालजयी, अनाम और नीली रेखा तक। इसके अतिरिक्त बच्चों के लिए तुकों के खेल, संस्मरण जिन्होंने मुझे रचा और निबंध संग्रह कुछ नीति कुछ राजनीति भी प्रकाशित हुए।