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भाई / मुइसेर येनिया
Kavita Kosh से
मैं दिखा रही हूँ
एक बार अपनी मुस्कान
एक बार अपना आर्तनाद
इस दुनिया को
ओह पुरुष
हम भाई हैं
इस ध्वंस के ।