भारत महान / संजीव 'शशि'
गौरवशाली अतीत जिसका,
स्वर्णिम है जिसका वर्तमान।
शत शत वंदन, शत अभिनंदन,
जय जय मेरा भारत महान।।
अनमोल धरोहर वेदों की,
अंतस में रामायण, गीता।
राधा-मोहन, शिव-पार्वती,
जिसके आँगन रघुवर-सीता।
तुलसी, कबीर, गुरु नानक की,
वाणी भरती है प्रखर ज्ञान।
राणा प्रताप, लक्ष्मीबाई,
थे वीर शिवा से रखवाले।
आजाद, सुभाष, भगत सिंह से,
थे आजादी के मतवाले।
हँसते-हँसते जिसके बेटे,
चरणों में करते शीशदान।
अपनेपन के रिश्ते-नाते,
बहते ममत्व के धारे हैं।
सब धर्मों का सम्मान यहाँ,
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे हैं।
गुंजित होते हैं साथ-साथ,
जयकारे, गुरु वाणी, अजान।
जो अंतरिक्ष तक जा पहुँचा,
परमाणु शक्ति संपन्न बना।
था विश्व गुरू, है विश्वगुरू,
है सर्वश्रेष्ठ, है महामना।
हरपल आगे बढ़ता जाये,
गढ़ता जाये नव कीर्तिमान।