भारत माता के बेटे / हरे प्रकाश उपाध्याय
यह भाई जो दिन-दिन भर
रोज़ रिक्शा चलाता है
दो-चार रुपये के लिए झिक-झिक झेलता है
बेवजह अपमान झेलता है मार खाता है
जिसके पेट में भूख हरदम अंतड़ियाँ चबाती रहती हैं
भारत इस भाई का भी तो है
यह भाई जो दिन भर ठेले खींचता है
और जिसके बच्चे मिठाई के लिए तरसते हैं
जिसके बच्चों के लिए नयी कमीज़ें दिवास्वप्न की तरह हैं
भारत इस भाई का भी तो है
यह भाई जो खेतों में
अपनी हड्डियाँ गलाता है
पसीने से सींचता है अन्न के दानों को
जिसके बच्चे दूध के लिए तरस कर रह जाते हैं
जिसकी बिन ब्याही बेटी पिता की दु:ख की पोटली लिए कुएँ में कूद जाती है
भारत इस भाई का भी तो है
यह भाई जो फूटपाथ पर
जूते सिलता है
और जिसके पाँव बिवाइयों से पटे हैं
भारत इस भाई का भी तो है
यह भाई जिसका भाई
इलाज़ के अभाव में मर गया
और जो चन्द रुपयों की दवाई ख़रीद न सका
जो अस्पतालों स्कूलों और कचहरियों में घुसते हुए डरता है
भारत इस भाई का भी तो है
यह भाई जिसके पिता
साहूकार से लिए चन्द हज़ार रुपये की कर्ज़ न चुका पाए
और अपमान व ज़िन्दगी की दिक्कतों से भागकर
गरदन में गमछा बाँधकर पेड़ से लटक गए
भारत इस भाई का भी तो है
यह भाई जिसके बेटे को
पुलिस ले गई
आतंकवादी कहकर
जो दरअसल बेरोज़गारी-अभाव के आतंक से बौखलाया
मारा-मारा घूम रहा था
जिसके चेहरे पर हल्की दाढ़ी थी
भारत इस भाई का भी तो है
क्या आप इन भाइयों को बता सकते हैं
संविधान में दर्ज़ समता बंधुत्व न्याय स्वतंत्रता के अर्थ
क्या आप बता सकते हैं इन्हें विकास का अर्थ
क्या आप बता सकते हैं इन्हें नयी शताब्दी का अर्थ
क्या आप बता सकते हैं डिज़िटल इण्डिया के मायने
ये किससे करें ‘मन की बात’
क्या आप बता सकते हैं...?