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भाला सी भाला भिड़ चल्या रे भाई / पँवारी
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पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
भाला सी भाला भिड़ चल्या रे भाई
रक्तन भर्यो सागर ताल रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
रक्तन नन्दी बह्य चली रे भाई
हडगन की बँध गई पार रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
रानी का हता ती रन जुझय रे भाई
लौंढी का घरऽ फिर जाय राम
बिजोड़ो दे रे भाई।।