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भालू / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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चार मनोॅ के भालू भारी
केकरा खैबौ? केकरा मारी?
कतनी टा तोरोॅ छौ गर्दन
कंद-मूल भी तोरोॅ भोजन।

पर पिपरी के बात अलग छै
तुरत करौ चट; जानै जग छै
पिपरी खातिर चढ़ौ पहाड़
जरियो नै दुक्खै छौं हाड़।

जेहनोॅ पिपरी, दीमक होन्हे
सब लागै छौं तोरा सोन्हे
जों शहदे लागै छौ अच्छा
मधुमक्खी से करियोॅ रक्षा।