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भाषा में छिप जाना स्त्री का / कात्यायनी

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न जाने क्या सूझा
एक दिन स्त्री को
खेल-खेल में भागती हुई
भाषा में समा गई
छिपकर बैठ गई।

उस दिन
तानाशाहों को
नींद नहीं आई रात भर।

उस दिन
खेल न सके कविगण
अग्निपिण्ड के मानिंद
तपते शब्दों से।

भाषा चुप रही सारी रात।

रुद्रवीणा पर
कोई प्रचण्ड राग बजता रहा।

केवल बच्चे
निर्भीक
गलियों में खेलते रहे।


अब इसी कविता का अँग्रेज़ी अनुवाद पढ़िए
                      Katyaayani
    Hiding of the woman in language
    
Not known
What stroke
The woman
One day

In the way of a fun
Running she
Entered into the language
And sat
Being concealed

The dictators didn't sleep that day
All night long
The poets couldn't play
With red hot words
Like fire balls

The language remained
Keeping quiet all night long

Some furious tune
Continued to be played
On the "Rudra veena"

None but fearless
Children went on
Playing in the lanes

Translated from Hindi by Jagdeesh Nalin