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भिगोकर आँसुओं से क़ीमती,इक चीज़ लाया हूँ / राम नारायण मीणा "हलधर"
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भिगोकर आंसुओं से क़ीमती, इक चीज़ लाया हूँ
मैं अपने खेत की मिटटी, ग़ज़ल के बीज लाया हूँ
मेरे अशआर को छूकर, हथेली रच गई उसकी
कभी गणगौर लाया हूँ, कभी मैं तीज लाया हूँ
ज़माने की नज़र से उम्र भर, तुमको बचाएगा
गले में बांधकर कर देखो हमें, ताबीज़ लाया हूँ
घड़ी भर के लिए वाचाल तारों, शोरगुल कर लो
मैं इक खामोश सूरज ढूंढ कर, नाचीज़ लाया हूँ
किसी की याद के चलचित्र से, दिन रात चलते हैं
बिछड़ते वक़्त उनसे आँख में, टाकीज़ लाया हूँ
मुझे वो हर बुराई, हर बला से दूर रखती है
मैं अपने गाँव से परदेस में, दहलीज़ लाया हूँ
किसी भी ज़लज़ले तूफ़ान में, बिखरा नहीं है घर
मैं अपने गाँव से परदेस में, दहलीज़ लाया हूँ