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भीगी हुई आँखों में तस्वीर तुम्हारी है/ विनय प्रजापति 'नज़र'
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लेखन वर्ष: २००४/२०११
भीगी हुई आँखों में तस्वीर तुम्हारी है
ख़ुदा! रूठी हुई हमसे तक़दीर हमारी है
मैं तेरा दिवाना राहे-इश्क़ का मुसाफ़िर हूँ
देख तो पाँव में पड़ी ज़ंजीर तुम्हारी है
मैं तुम्हारे लिए अपनी जान तक दे दूँगा
मैं तेरा राँझणा और तू हीर हमारी है
मुहब्बत एक दिन तुमको मुझसे प्यार करना है
मेरे हाथों में प्यार की लक़ीर तुम्हारी है