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भुलक्कड़ राम / बाबूराम शर्मा 'विभाकर'
Kavita Kosh से
दिल्ली के रहने वाले
अजब भुलक्कड़ राम जी,
खाना खाना भूल गए
करते हैं आराम जी!
जब उनको फिर भूख लगी
हलवे का लें नाम जी,
पूछा इक हलवाई से-
क्या है इसका दाम जी?
हलवाई ने टोक दिया
लेकन उनक नाम जी,
बिन पैसे हलवा कैसे
वाह, भुलक्कड़ राम जी!
दूध पेस्ट रगड़ा माथे
समझा उसको बाम जी,
अंट-शंट कामों को यूँ
करें भुलक्कड़ राम जी!
मामा आए मिलने को
पूछा क्या है काम जी,
कौन कहाँ के हो जी तुम,
कर लो ‘राम-राम’ जी!
रिश्ते को भी भूल गए
बड़े भुलक्कड़ राम जी,
‘भूल भुलक्कड़’ का सबसे
पाते यह इनाम जी।
-साभार: नंदन, दिसंबर, 1997, 40