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भूखै री दीठ में सूरज / सांवर दइया
Kavita Kosh से
सिंझ्यां नै तो
देख्यो ई हो आथूण
लाल… लाल
लो
ओ भळै देखो
होळै-होळै हुवै
लाल… लाल… लाल…
जरूरतां रै हाथां
अभावां री छुरी सूं
म्हारै दांईं
ओ सूरज ई लाई
दोनूं बगत हुवै
हलाल !