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भूमिका / महताब हैदर नक़वी / सैरे-जहाँ / शहरयार

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शहरयार उर्दू के बड़े शायर हैं। उनकी शायरी, उर्दू शायरी की महान परम्परा से जुड़ी हुई बड़ी शायरी है। उन्होंने हिन्दी एवं उर्दू दोनों भाषाओं के पाठकों को एक साथ प्रभावित किया है। वही कारण है कि उनके कविता संग्रह प्रकाशित होकर पाठकों से दाद वसूल कर चुके हैं। दरअस्ल शहरयार की शायरी अपने विषय भाव, सामाजिक सरोकारों एवं भाषा के आधार पर हिन्दी-उर्दू के बीच की खाई को पाटने का काम करती है। यही कारण है कि उनका नाम हिन्दी-उर्दू पाठकों में आदर के साथ लिया जाता है।

छठी दहाई के आस पास जब शहरयार का पहला काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ तो 'सीने म3 जलन आंखों में तूफ़ान सा क्यों है' जैसी ग़ज़लों के आधार पर उर्दू के आधुनिकता वादी लेखकों के प्रसिद्ध प्रगतिशील शायर एवं लेखक अली सरदार जाफ़री ने 'ये जो आसमां पे सितारा है' जैसी नज़्मों के आधार पर उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा की और उन्हें प्रगतिशील शायर साबित किया है कि वह अपनी संवेदनशीलता एवं अपने सरोकारों के कारण किसी एक 'वाद' की गिरफ़्त में नहीं आती, बल्कि वह सबके लिए समान रूप से प्रशंसीय होती है।


शायरी इंसान के एकांत के क्षणों में जन्म लेती है, जो इन क्षणों में रंग भरने का काम करती है और यह रंग इंसानी ज़िन्दगी से प्रेम और उसके सरोकारों से पैदा होता हैं यही वजह है कि इंसानीं ज़िन्दगी में पैदा होने वाली कोई हलचल शहरयार के दिल को छुए बग़ैर नहीं रहती। निरन्तर बदलती हुई दुनिया को वह किसी भी तरह से स्वीकार नहीं कर पाते। वह इसे जीवन की त्रासदी समझते हैं और उस पर प्रश्न चिन्ह लगते हैं

तुम्हारे शहर में कुछ भी हुआ नहीं है क्या
कि तुमने चीखों को सचमुच सुना नहीं है क्या
मैं इक ज़माने से हैरान हूँ कि हाकिमे-शहर
जो हो रहा है उसे देखता नहीं है क्या


जीवन मूल्यों में होता हुआ निरन्तर ह्रास और उपभोक्तावादी संस्कृति के परिणाम उनके दिल में कुछ खोने का एहसास तो पैदा करते हैं परन्तु जीवन से उन्हें मायूस नहीं करते बल्कि भले दिनों के ख़्वाब देखने के लिए प्रेरित करते हैं। शहरयार की शायरी का मुख्य स्रोत यही है। यही त्रासदी उन्हें तेज़ आँधी में भी जीवन-मूल्यों का दिया जलाये रखने के लिए प्रेरित करती है।

तेज़ हवा में जला दिल का दिया आज तक
ज़ीस्त से इक अहद था पूरा किया आज तक

तुमको मुबारक शामिल होना बंजारों में
बस्ती की इज़्ज़त न डुबोना बंजारों में
अपनी उदासी, पाने साथ में मत ले जाना
नामक़बूल है रोना धोना बंजारों में


शायर का अपने समाज के प्रति प्रेम उसे व्यवस्था विरोधी बना देता है। क्योंकि उसका चिंतन अपने समाज के लिए प्रतिबद्ध होता है। जिसे वह पूरी ज़िम्मेदारी के साथ पूरा करता है। ज़िन्दगी के साथ शायर का यही अहद है जिसके कारण वह तेज़ आँधी में भी दिया जलाने का काम करता है। बदले हुए सामाजिक परिवेश में समाज के प्रति शहरयार का यह अहद (प्रतिज्ञा) और सरोकार अक्सर व्यंग्य बाण नहीं छोड़ सकता, उसे संवेदन शून्य ही कहा जा सकता हैं शहरयार की व्यंग्यात्मक शैली प्रदूषित माहौल को उजागर करने का बेहतरीन अस्त्र है। वह अपनी व्यंग्यात्मक शैली से दो काम लेते हैं। एक यह कि वह स्वस्थ एवं उजले सामाजिक वातावरण में फैले काले एवं बदनुमा धब्बों की तरफ संकेत करते हैं, दूसरे यह कि उसके रहस्य का भी पता लगाते हैं।

जो बुरा था कभी वह हो गया अच्छा कैसे
वक़्त के साथ मैं इस तेज़ी से बदला कैसे

हंसों आसमां बे उफ़क़ हो गया
अंधेरे घने और गहरे हुए

तमाम शहर आग की लपेट में है भागिए
हुज़ूर कब से मीठी नींद सो रहे हैं भागिए
तमाम अहले-शहर, शहर छोड़कर चले गये
झुके हुए हैं सर अज़ीम बिल्डिंगों के देखिये
अब और कुछ न देखिये, अब और कुछ न सोचिये
तमाम शहर आग की लपेट में है भागिए।


ज़िन्दगी की इस त्रासदी से शहरयार कभी विचलित नहीं होते और न ही उसके प्रति ग़ैर संजीदा अख्तयार करते हैं। वह खिलंड़रे पन के विपरीत संजीदा (ज़िन्दगी के प्रति) रवैया रखते हैं। इसलिए वह भयानक परिस्थितियों में भी ख़्वाब देखना बंद नहीं करते। उनकी आंखें दीवारों में छेद करके उस पर के दृश्य को देख लेती हैं। और उसके रहस्य का पता लगा देती है यही कारण है की उनकी शायरी नये सामाजिक संदर्भों में अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।

शहरयार अपने चिंतन के साथ साथ शायरी के कला पक्ष को भी बहुत अधिक महत्व देते हैं। उनकी शायरी सामाजिक परिवेश से सीधी जुड़ी होने के बावजूद उसमे कहीं भी न ति सपाटपन पैदा होता है और न ही फौरी और हंगामी समस्याओं का खबरनामा मालूम होती है। इसका मुख्य कारण यह है कि वह अपनी शायरी में उन तमाम उपमानों का रयोग करते हैं जो शायरी को कलात्मक बनाते हैं। उनकी नज़्में और ग़ज़लें दोनों विधाएं भाषा के खुरदुरे पन से दूर हमें गीतात्मकता की तरफ ले जाती है। शहरयार ने फिल्मों के लिए भी गीत लिखे हैं, जिनको सुनकर यह आभास होता है कि फिल्मों में अच्छी और सच्ची शायरी पेश की जा सकती है।

शहरयार की शायरी हमें जीवन के प्रति प्रेम, उसकी समस्याओं से जूझते रहने, उसके रहस्यों का पता लगाने और नई दुनिया के ख़्वाब देखते रहने का संदेश देती है।