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भूलने को इक कहानी चाहिये / रंजना वर्मा

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भूलने को इक कहानी चाहिए
जो न बीते वह जवानी चाहिए

इश्क़ की बातें अगर हो कर रहे
आरजू कोई सुहानी चाहिए

जो हमें मंजिल तलक पहुँचा सके
राह अब वह ही पुरानी चाहिए

आसमाँ छूना अगर है ख़्वाब तो
डोर हाथों में थमानी चाहिए

हौसला ले कर बढ़ायें पाँव तो
खुद ही मंजिल पास आनी चाहिए

याद रखने के लिये इक दास्ताँ
कोई प्यारी-सी निशानी चाहिए

नित रहें गुलज़ार राहें इश्क़ की
फिर कोई मीरा दिवानी चाहिए