भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भूली पहचान / कर्णसिंह चौहान
Kavita Kosh से
वासंती फूल सा
खिला बच्चा
कभी कभार
सड़क पर
मां से मिल जाता है
हाथ हिलाता है
आंखों में ढ़ूंढता
भूली पहचान
तुरत भाग
बच्चों में खो जाता है।