भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भूले हुए शब्द की तरह / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
एक शब्द की तरह
याद आऊँगा मैं तुम्हें
किसी भूले हुए शब्द की तरह
- सन्दर्भहीन
और तुम छटपटाओगे
निश्चय ही मेरी खातीर नहीं
उस सन्दर्भ की खातिर
मुझ में किसी अर्थ तक
जो पहुँचा दे तुम्हें।
तुम्हारी छटपटाहट वह
मेरा अर्थ होगी।
(1984)