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भेंट / प्रेमरंजन अनिमेष
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मेरी प्रतीक्षा है मेरा स्वप्न
सब कुछ अच्छा-अच्छा
सोच कर रखता तुम्हारी अगवानी के लिए
पर तुम आते
और टूट जाता बाँध
बह निकलता
जिस तरह हूँ जैसा
बुरा न मानना
हमेशा के लिए
मत रूठना
माफ़ कर देना
इस बार भर
कर सकूँ
सब सोचा
सब सही
एक वसर और
फिर आना ज़रूर...