भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भेदु / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
मनें ठा है
तूं है इँ जंगल रो भेदु
थारे पगां लाग्योड़ी है
ना'र री गुफा
इजगर री खोह
मीठे पानी री तलाई'र
आम जामन रा रुंख
पण मति दिखा
थारी जानकारी
च्यारां कानी भाज भाज'र
भटक ज्यासी नुएँ बटाऊ
मंडयोडा देख'र सगली दिसावां में खोज
तूं तो चाल चाल'र
मोटो कर बो मारग
जको जावे है
इण घनघोर अटवीं सुं बारे