भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भ्रम / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
तुमसे मिलकर
कई भ्रम टूटे
मसलन ज़िंदगी में होता है
प्रेम बस एक बार
कि देह से अलग होता है मन
कि रस्मों-रिवाज़ से ही बनती है
दुनिया खूबसूरत