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भ्रष्टाचार-2 / मनोज झा

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तोप चीनी वर्दी अलकतरा,
 पशुपालन या फोन का लफरा।
 प्रतिभूति या खाद हवाला,
हर शब्दोँ के साथ घोटाला।

 न्यायालय या-सी बी आई,
 किस पर आस लगाऊँ भाई?
 कौन करेगा देश भलाई,
 नेता? संसद? या कि सिपाही?

 क्या इसीलिए आजाद हुए थे?
अपना खूँ बर्बाद किए थे।
 तू भारत नीलाम करोगे,
खुद ऐशो आराम करोगे।

 आतंकवाद का यही मूल है,
 जनता की आँखोँ मेँ धूल है।
आरक्षण मेँ दम नहीँ भाई,
 पकड़ सके जो इनकी कलाई.

 आओ सब इनको पहचानेँ,
अब न देँ सत्ता हथियानेँ।
योग्य जन अधिकारी होगा,
 धन सबका सरकारी होगा।