Last modified on 5 अगस्त 2015, at 11:47

मंगल प्रभातः एकटा नागरिक चरित्र / राजकमल चौधरी

जावत ओछानक कातमे छोटका टेबुल पर राखल नहि जाय
चाहक गिलास
निन्न नहि फूजत, तावत फूजत नहि बन्द पलक, हम
देखब नहि सूर्यक प्रकाश
चाहक गिलास खिड़कीसँ टेबुलपर अबैत पीअर रौदमे
चमकि रहल अछि
बड़ी कालसँ हमर नाकमे पेट्रोलक
गन्ध
बड़ी कालसँ गाबि रहल अछि
ट्रान्जिस्टर मंगल-प्रभात
बड़ी कालसँ चिरइ-चुगमुनी चहकि रहल अछि
चमकि रहल अछि पीअर-लाल रौदमे चाहक गिलास
हम देखब नहि सूर्यक प्रकाश

(आखर, राजकमल स्मृति अंक: मइ-अगस्त, 1968)