भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मंडसी तो ई / निशान्त
Kavita Kosh से
आज फेरूं मंडया है
बादळ
आगै किस्या मंडया कोनी
ठीक है
बां कोनी करया न्ह्याल
पण बादळ मंडसी
तो ई बरस सी ।