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मई के
इन चमकदार दिनों में
जब राह के दोनों ओर खड़े पेड़
सफ़ेद रंग छिड़कते हैं राह पर
और छायादार पथों पर
हवा सरसराती है अपने पूरे रंग में
पत्तियों कि बौछार कर
बेल-बूटे बनाती है
मैं गाँव-गाँव बसे
युवा कवि-कवयित्रियों को
भेजता हूँ अपनी हार्दिक शुभकामनाएँ-
जीवन अभिवादन करे
स्नेह से उनका
वसंत का यह दिन उन्हें
चमक दे अपनी
उनके मन में बसे
सब सपने खरे हों
और पूरी तरह
इस श्वेताभ दिन की
आभा से भरे हों
(1900)
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय