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मक्खी / श्रवण कुमार सेठ
Kavita Kosh से
छत पर सूख
रही थी मिर्ची
थोड़ी हरी थी
थोड़ी लाल
भिंन भिन करती
आई मक्खी
लगे टपकने उसके
लार।
इधर-उधर मक्खी
ने देखा
छत पर थी एक
बूढ़ी कक्की
नज़र बचा के
उस कक्की से
मिर्ची लेकर
उड़ गई मक्खी।