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मगध / नरेन्द्र जैन
Kavita Kosh से
श्रीकांत वर्मा को याद करते हुए
जैसा अभी दिख रहा है
मगध ऐसा ही रहा होगा
श्रीकांत अब नहीं हैं
लेकिन मगध के राजपथ हैं
जिन पर अभी अभी छिड़का गया है
पवित्र जल
कलिंग के रक्तपात के बाद
अशोक कह रहा है अपने
‘मन की बात’
हतप्रभ हैं श्रेष्ठिवर्ग
आमात्य, मुख्य आमात्य
पहरेदार, चोबदार, रंगदार
विप्रों की टोली
मगध आज विनाश के उत्तुंग शिखर पर है
पाटलिवुत्र से निकला है क़ाफ़िला
नागपूर से कर रहा है कूच कापालिक
श्रीकांत नहीं रहे
मगध जस का तस है
2018, उज्जैन