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मगन मन डोले रे जय अम्बे बोले / बुन्देली

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मगन मन डोले रे जय अम्बे बोले
तो पर भैया जाऊं बलिहारी
देखत रूप सलोने। मगन मन...
जगमत जलती ज्योति तुम्हारी
घन-घन घंटा बोले। मगन मन...
देख रहे तोह सब नर नारी
एकटक अंखिया खोले। मगन मन...