दुख हुआ जान कर कि 
सूख गया मानिकपुर का तालाब 
मानिकपुर के तालाब में एक मछली रहती थी नीली 
जिससे मेरी ख़ूब दोस्ती थी
उसका क्या हुआ
कुछ का कहना है कि 
जब धूप में सूख कर उड़ रहा था तालाब का पानी 
तब वह भी सूखती, पटपटाती, भुनती हुई 
हवा में उड़ी थी 
जब वह उड़ी थी हवा में तड़पती, ऐंठती, छटपटाती
तो वह कहीं न कहीं तो गई ही होगी
हम तो चले जाते हैं भाग कर 
गाजियाबाद, नोएडा, नासिक, सूरीनाम 
वह कहाँ गई लोगो ! वह कहाँ गई, 
वह भाप बन गई या गिरी जल कर 
फिर से किसी तालाब में 
कि उसे किसी धन्ना-सेठ ने पानी के लिए 
तरसा कर अपने तालाब में पोस लिया 
कि वह गिरी जाकर राष्ट्र की प्रथम महिला 
के श्रृंगारदान में 
कि वह गिरी किसी तस्कर के वृहद प्लान में 
जिसने कि कब्ज़ा कर ली उसकी देह 
बेच दिया उसके प्राण को 
यह भी हो सकता है कि वह जाकर गिर गई हो
किसी हत्यारे की गहरी नींद के सिरहाने 
एक लड़का जो प्रायः उस तालाब के किनारे 
घूमता रहता था
उसने कहा- नहीं ! नहीं ! 
वह जा गिरी थी एक मछुआरे की हथेली पर 
जिसने उसे एक लड़की में तब्दील कर दिया 
जो आज भी रहती है 
प्राणपुर गाँव में 
अपने मछुआरे के लिए 
किसी और तालाब की 
रोहू रीन्हती हुई 
उसमें डालने के लिए सरसों का मसाला 
पीसती हुई