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मज़ाक / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग

दिल से सौ-सौ दुआएँ देकर भी तुमने दिल को मगर, पनाह न दी, कितना तीखा मज़ाक है गोया रोखनी बख्श दी, निगाह न दी </poem>