भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मड़बा के नीचे नीचे हेरै लौनियाँ / अंगिका लोकगीत
Kavita Kosh से
♦ रचनाकार: अज्ञात
प्रस्तुत गीत में पिता की जाँघ पर कन्या के तथा कुशासन पर दुलहे के बैठने और कन्यादान होने का उल्लेख है।
मड़बा के नीचे नीचे हेरै<ref>देखती है</ref> लौनियाँ, कौने कुल कनिया कुमार तपसी हे।
घर से बाहर भेल बाबा से बड़का बाबा, हमरो कुल कनिया कुमार तपसी हे॥1॥
एक दिस<ref>एक तरफ</ref> बैठल लौआ<ref>नाई</ref>, एक दिस बैठल बेटी बाप तपसी हे।
दहिना जाँघ चढ़ि बैठली दुलारी बेटी, मोती जकाँ<ref>जैसा</ref>झहरै<ref>झहरता है</ref> नोर<ref>लोर; आँसू</ref> तपसी हे।
साबन भादो नैना बनि गेल तपसी हे॥2॥
कुस आसन चढ़ि जोगी एक बैठल, करु रीसी कनिया के दान तपसी हे॥3॥
शब्दार्थ
<references/>