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मत गाओ शोक गीत / प्रमोद धिताल / सरिता तिवारी

अभी तो
मत गाओ कोई शोक गीत

आँगन में खेल रहे हैं मेरे बच्चे
पृथ्वी की अन्तिम धूप के किरणों और आखि़री बूँद पानी तक
छितरी हुई है उनकी हार्दिक सुगन्ध
कपूर के हरे वृक्ष में छिपकर खेल रहे हैं लुकाछिपि
दिख रहे हैं और फिर अलप हो रहे हैं

निर्भय हैं
निश्चिन्त हैं
मालूम नहीं फिर भी देश या समय
वे सुनते हैं किसी देश की कहानी
कोई काल
कोई दुष्ट दानव
या कोई अच्छे इन्सान की कहानी

चालाक हैं
सक्रिय हैं
सुनना चाहते हैं
निल आर्मस्ट्रांग की जीवनी और नेल्सन मण्डेला का संघर्ष
जानना चाहते हैं
मनुष्य की उत्पत्ति और विकास का इतिहास
समझना चाहते हैं
कैसे बना इन्सान राम, जीसस, पैगम्बर और बुद्ध
वे देखते हैं पर्दा में
शक्ति मानव और अति मानव के विस्मयकारी खेल
समुद्र में डुबकी मार रही मछलियाँ
अफ़्रीका के चरागाह में चर रही अर्ना भैंस
और बेयर ग्रिल्स<ref>ब्रिटिश एडवेंचरर तथा म्यान वर्सेस वाइल्ड नामक टेलीविजन शो के प्रस्तोता।</ref> का एडवेंचर

अभी तो
मत गाओ कोई शोकगीत
कौन बजा रहा है विसर्जन की धुन?
कृपया बन्द करो
कौन अलाप रहा है मृत्यु लय?
कृपया बन्द करो
कौन निकल रहा है चिल्ला चिल्लाकर
प्रलय की सूचना देते हुए सड़क में
बन्द करो, बन्द करो, बन्द करो!

समय ने
बाक़ी सब कुछ लूटकर ले जाने के बाद भी मुझसे
बचा हुआ है अभी तक
मेरे बच्चों के होंठों में कान्ति
सीने में जीवन का तीव्र स्पन्दन लेकर
वे बढ़ रहे हैं घड़ी–घड़ी गिनते हुए
समुद्र ताक कर कूदते–सिसकारते
बहती हुई नदी जैसी
वे कर रहे हैं रोमांचकारी यात्रा

अभी तो
बाक़ी है उनका मिलों मिल का सफ़र
उन्हें सत्य साबित करना है अपने पूर्वजों के किए हुए
सारे युटोपियाई वादे को

देखना
किसी दिन
उनकी ही आँखों के चमकदार आईने में
दिखाई देगा इस देश का भव्य चित्र
उनके ही पैरों से नापी हुई क्षितिज में
खुलेगा इतिहास का बुलन्द सूरज

अभी तो मत गाओ कोई शोक गीत
निमग्न मुस्करा रहे हैं बच्चे

सज्जनो!
क्या हमने अपने बच्चों की मुस्कान
सुरक्षित रखी हुई है?