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मत मर्दुमक-ए-दीदा में समझो ये निगाहें / ग़ालिब

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मत मरदुमक-ए दीदह में समझो यह निगाहें
हैं जम'अ सुवैदा-ए दिल-ए चशम में आहें

किस दिल पह है अज़म-ए सफ़-ए मिज़हगान-ए ख़वुद-आरा
आईने के पा-याब से उतरी हैं सिपाहें

दैर-ओ-हरम आईनह-ए तकरार-ए तमनना
वा-मांदगी-ए शौक़ तराशे है पनाहें