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मथुरा मे बेदना बियाकुल, देबकी रानी रे / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मथुरा में देवकी को प्रसव-वेदना होती है। डगरिन आती है और कृष्ण का जन्म होता है। इधर गोकुल में यशोदा चौंककर उठती है और नंद के पास खबर भेजती है कि आपके घर बालक उत्पन्न हुआ है।
इस गीत में यह उल्लेखनीय है कि देवकी को पुत्र हाता है और यशोदा जगने पर अपने पलंग पर कृष्ण को बालक-रूप में प्राप्त करती है। वसुदेव द्वारा कृष्ण को गोकुल पहुँचाने का उल्लेख इस गीत में नहीं आया है। लेकिन, मूल गीत से ही संतान बदलने की बात स्पष्ट हो जाती है।

मथुरा में बेदना बियाकुल, देबकी रानी रे॥1॥
परथम राति बीतल, पहरू सब सूतल रे।
ललना रे, सूतल नगर क लोग, केओ<ref>कोई</ref> नहीं जागल रे॥2॥
दोसर पहर राति बीतल, देबकी जागल रे।
ललना रे, जागल नगर क लोग, कि दगरिन बोलाबल रे॥3॥
चढ़ि पालकी दगरिन आयल, पैर पखारल रे।
ललना रे, हलचल भेलै महल में होरिला जलम लेल रे॥4॥
तेसर पहर राति बीतल, जसोदा चिहायल<ref>चिहुँकना</ref> रे।
नद जी के भेजल खबरिया, कि बालक जलम भेल रे॥5॥

शब्दार्थ
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