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मदिराधर कर पान, सखे! / सुमित्रानंदन पंत

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मदिराधर कर पान,
सखे, तू न धर न जुमे का ध्यान,
लाज स्मित अधरामृत कर पान!
सभी एक से तिथि, मिति, वासर,
जुमा, पीर, इतवार, शनीचर!
नीति-नियम निःसार!
धर्म का यह इज़हार,
ख़ुदा है ख़ुदा, न वह तिथि वार!