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मधुमास / जटाधर दुबे
Kavita Kosh से
आवी गेलै मधुमास, आवोॅ फाग खेली लेॅ।
आवी गेलै जोश तनोॅ में
छाय गेलै उमंग मनोॅ में,
खिली गेलै पुष्प वनोॅ में
छै नशा सूरज किरणोॅ में,
आवी गेलै ऋतुराज, मीट्ठोॅ राग गावी लेॅ।
आवी गेलै मधुमास, आवोॅ फाग खेली लेॅ।
जोशोॅ के डंका बजलोॅ छै,
रंगोॅ के ऐंगना सजलोॅ छै,
अलि कली के रस चूसै में भिड़लोॅ छै,
फूलोॅ के सुख-शशि उगलोॅ छै,
आवी गेलै रसराज, आवोॅ रंग राग लै लेॅ।
आवी गेलै मधुमास, आवोॅ फाग खेली लेॅ॥
आवोॅ भरि लेॅ मन प्राणोॅ में रंग,
दूर करोॅ सब भेद हुओॅ होली के संग
देना छै सभ्भै केॅ रंग, नै कादोॅ,
फागुन के बनावोॅ रंगोॅ से भादोॅ
लाजोॅ के त्यागोॅ, देहोॅ में रंग ढारी लेॅ।
आवी गेलै मधुमास, आवोॅ फाग खेली लेॅ॥