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मनख्यात / सुन्दर नौटियाल
Kavita Kosh से
मनखि ह्वैक मनख्यों सि इतक्या नफरत
यत मनखि वाळी बात नि ह्वै ।
रंग-रूप, ऊँच-नीच, कु यु भेदभौ
न भै यत मनख्यात नी ह्वै ।।
सब्बी छोड़ी, जंती-जोड़ी, चली गैनी बड़ा-बड़ा -2
राजा बि रंक बि चलीगे, अरे कैकी बि जैजात नि रै ।
कै खाणौं छकी नि छ, क्वी खै-खै नि छकेणु छा -2
अपड़ी, अपणौं की सोचदी रौं, यत मनख्यों की जमात नि ह्वै ।
करमु सि ही बडू़ ह्वै जु बढ़ी यीं दुनियां मा -2
क्वी महापुरूष यख अजी, महान जन्मजात नि ह्वै ।
यीं अमीरी-गरीबी, ऊँच-नीच, जाति, छोड़ा दौं -2
मनखि सी बड़ु धरम क्वी, मनख्यों कि क्वी जात नि ह्वै ।
मनखि ह्वैक मनख्यों सि इतक्या नफरत
मनखि वाळी बात नि ह्वै ।
रंग-रूप, ऊँच-नीच, जाति-पाति कु भेदभौ
न भै य मनख्यात न ह्वै ।।