चौपाई:-
वीरस दिवस यहि विधि चलि गयऊ। मिलि मंत्री राजा मत कियऊ॥
कह मंत्री अब चेतुहु राजू। कुंअरहिं देहु तिलक करि साजू॥
राज काज अब करै कुमारा। तुम निज नाम जपो कर्त्तारा॥
तेहि दिनको विधिवत जत चीन्हा। सो विधि सकल संपूरन कीन्हा॥
ब्राह्मण वोलि घरी ठहराई। अपने हाथ तिलक दिहु राई॥
पहिले नरपति आयु वनावा। तब पुनि सकल सृष्टि शिर नावा॥
विश्राम:-
चित्रसेन महथा भवो, संगिन मान बढाय।
कुंअरि भई पटरानियां, धरती जन गुन गाय॥258॥