मनवा ई देहाती बाटे / गुलरेज़ शहज़ाद
घूम के देखनीं
दिल्ली,बॉम्बे
सउँसे देखनी
हम कलकत्ता
देखनीं आपन
गाँव-नगरिया
लउकल नाहीं
देसिल बयना
जेने देखीं ओने लउके
पिज्जा-उज्जा
बर्गर,चाउमिन
बुध्दि लागल
पीछे दउरे
बीतल काल के
कतना दीरिस
घूमे लागल
अँगनाई में
पंचमुखी जे चूल्हा रहे
ओह चूल्हा पर
किसिम-किसिम के खाएक,आ
पकवानो पाके
बीतल काल के पर्दा पर
दादी के उभरल दूबर काया
मांटी के बरतन में पकावस
अपना हाथे
दूधपुआ आ भभरी रोटी
बने पिडुकिया
ठेकुआ पाके
लईकाइं में
चूल्हा अगोरले
गोल बनवले
धक्का-मुक्की आ बलजोरी
करत आपन जघे धइले
पकवानन के रास्ता जोहल
मन पड़ल बा
गाएब भइल
चना-चबेना,
सतुआ, चिउड़ा
मकुनी ,जाउर
मालपुआ,गुलगुल्ला आपन
सगरो बिलायती पकवानन के
बात चलल बा
नवका समय के
लइका लइकी
हेच नजर से देखे एह के
माटी से बिछुड़ल
शुन्य में विचरत
सोच- विचार वालन से भाई
का केहू उमेद लगार्इ
खान-पान में
रहन-सहन में
बिदेश समाइल बा
अतना कि
देशवा भइल बाटे निपत्ता
देसिला जे पकवान रहे ऊ
गजब रहे जी
कतना खिस्सा-कहानी के बा
जनम एह से
गाँव में
झुनिया-कलुआ के बा प्रेम कहानी
बहिनौरा कलुआ जे गइल
कनवां भर गमकौवा तेल
माथा में धईले
पान चबइले
सनेस के लाल चंगेरा लदले
रेल्ले साईकिल पर उ आपन
रस्ते में अंखिया चार भइल
झुनिया से अचके
गइल हचका में साइकिल,गिरलें
ठेहुन फुटल
धउर के झुनिया अइसन थमलस
आजु ले गठजोड़ बा काएम
कटहर के लासा खानी
ना छूटे वाला
इंटरनेट के जादू में ई
बउराइल बा नवका पीढ़ी
पछिम के नकल में
असल छूट गइल बा
नवका सोच
घवाहिल लउके
पढल लिखल सब
जाहिल लउके
बाकिर आपन का बात बताईं
आपन बा अलगे रामकहानी
जे बा देसिला,थाती बाटे
भले शहर में बानीं लेकिन
मनवा ई देहाती बाटे