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मनुष्य / हरीश करमचंदाणी
Kavita Kosh से
आसान था कहलाना मनुष्य
मुश्किल था बनना मनुष्य
मनुष्य बनने के लिए
बरतनी पड़ती मनुष्यता
जो बहुत महँगी पड़ती
दुनियादारी के हिसाब से