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मनै पाटी कोन्या जाण, बाहण या कोण लुगाई सै / ललित कुमार

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मनै पाटी कोन्या जाण, बाहण या कोण लुगाई सै,
इसका चन्द्रमा सा नूर-हूर, इसी कितै आई सै || टेक ||

सूर्य सुता तप्ती सा चेहरा, मन मोह लिया इसनै मेरा,
यो कीचक भाई मरैगा तेरा, इब मेरी करड़ाई सै ||

या मृगानयनी फिरै महल मै, रहै दासी बणकै तेरी टहल मैं,
जै ब्याह होज्या इसकी गैल मै, तो स्वर्ग की राही सै ||

रम्भा-उर्वशी मेनका प्यारी, ये इंद्र की परी फ़ैल सै सारी,
गात मै चमक तेग दुधारी, जणू तुर्त साण पै लायी सै ||

तूं बात मानले बहना मेरी, भावज बणाले इसनै तेरी,
कहै ललित मत लावै देरी, मेरा दिखै भाग सवाई सै ||